ज्ञानपीठ पुरस्कार - भूमिका
भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार ज्ञानपीठ न्यास द्वारा दिया जाने वाला साहित्य के क्षेत्र का सर्वोच्च पुरस्कार है। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में बताई गयी 22 भाषाओ में से किसी एक भाषा में लिखे गये उत्कृष्ट साहित्य के लिए दिया जाता है. पुरस्कार में 11 लाख रुपये की धनराशि , प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है 1965 में पुरस्कार की राशि 1 लाख रुपये से शुरू की गई थी 2005 में पुरस्कार की धनराशि 7 लाख रुपये की गई वर्तमान में यह 11 लाख रुपये है।
भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के पचासवें जन्म दिवस 22 मई 1961 को उनके परिवार के सदस्यों द्वारा पुरस्कार का विचार आया मन में यह विचार आया । 16 सितम्बर 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ की संस्थापक अध्यक्ष श्रीमती रमा जैन ने न्यास की गोष्ठी में ज्ञानपीठ पुरस्कार का प्रस्ताव रखा दिल्ली में 2 अप्रैल 1962 ई0 को भारतीय ज्ञानपीठ और टाइम्स आँफ इण्डिया के सयुक्त तत्वाधान में देश के 300 विद्वानों ने इस विषय पर विचार विमर्श किया यह गोष्ठी दो सत्रों में संपन्न हुई जिसकी अध्यक्षता क्रमशः डॉ0 वी राघवन और श्री भगवती चरण वर्मा ने की और इसका संचालन डॉ0 धर्मवीर भारती ने किया ।
भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के पचासवें जन्म दिवस 22 मई 1961 को उनके परिवार के सदस्यों द्वारा पुरस्कार का विचार आया मन में यह विचार आया । 16 सितम्बर 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ की संस्थापक अध्यक्ष श्रीमती रमा जैन ने न्यास की गोष्ठी में ज्ञानपीठ पुरस्कार का प्रस्ताव रखा दिल्ली में 2 अप्रैल 1962 ई0 को भारतीय ज्ञानपीठ और टाइम्स आँफ इण्डिया के सयुक्त तत्वाधान में देश के 300 विद्वानों ने इस विषय पर विचार विमर्श किया यह गोष्ठी दो सत्रों में संपन्न हुई जिसकी अध्यक्षता क्रमशः डॉ0 वी राघवन और श्री भगवती चरण वर्मा ने की और इसका संचालन डॉ0 धर्मवीर भारती ने किया ।
ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन प्रक्रिया
ज्ञानपीठ पुरस्कार की चयन प्रक्रिया विस्तृत एवं लम्बे समय तक चलती है चयन प्रक्रिया का आरम्भ विभिन्न भाषाओँ के साहित्यकारों,अध्यापकों,समालोचको, प्रबुद्ध पाठकों, साहित्यिक तथा भाषायी संस्थओं के प्रस्ताव भेजने के साथ शुरू होता है । जिस भाषा साहित्यकार को एक बार पुरस्कार मिल जाता है उस पर अगले तीन वर्ष तक विचार नहीं किया जाता है । प्रत्येक भाषा के लिए एक परामर्श समिति होती है जिसमे तीन सदस्य होते है समिति का गठन तीन वर्ष के लिए के किया जाता है । प्राप्त प्रस्ताव भाषा परामर्श समिति द्वारा जांचे जाते है किसी साहित्यकार पर विचार करते समय भाषा समिति उसके सम्पूर्ण कृतित्व के मूल्यांकन के साथ समसामयिक भारतीय साहित्य की प्रष्ठभूमि में भी उसको परखता है । 28 वें पुरस्कार के नियम में यह परिवर्तन किया गया की पुरस्कार वर्ष को छोड़ कर पिछले बीस वर्ष की अवधि में प्रकाशित कृतियों के आधार पर लेखक का मूल्यांकन किया जायेगा ।
भाषा परामर्श समिति अपना प्रस्ताव प्रवर परिषद् के समक्ष प्रस्तुत करती है प्रवर परिषद् में कम से कम 7 और अधिकतम 11 सदस्य होते है प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है और उसका कार्यकाल अधिकतम दो बार बढाया जा सकता है । प्रवर परिषद् के विचार विमर्श के बाद ही पुरस्कार के लिए किसी साहित्यकार का चयन होता है ।
विभिन्न भाषाओँ को अब तक मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार
हिन्दी साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 10 बार )
कन्नड़ साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 7 बार )
1. 1967 के. वी. पुटप्पा रामायण दर्शनम्
2. 1973 डी. आर. बेंद्रे चार तार
3. 1977 डॉ. के. शिवराम कास्थ मुकज्जिया कसुगुल
4. 1990 विनायक कृष्ण गोकाक सम्पूर्ण साहित्य पर
5. 1994 प्रो. यू. आर .राव '' '' ''
6. 1998 गिरीश कर्नाड " " "
7. 2010 चंद्रशेखर कंवर " " "
ज्ञानपीठ पुरस्कार की चयन प्रक्रिया विस्तृत एवं लम्बे समय तक चलती है चयन प्रक्रिया का आरम्भ विभिन्न भाषाओँ के साहित्यकारों,अध्यापकों,समालोचको, प्रबुद्ध पाठकों, साहित्यिक तथा भाषायी संस्थओं के प्रस्ताव भेजने के साथ शुरू होता है । जिस भाषा साहित्यकार को एक बार पुरस्कार मिल जाता है उस पर अगले तीन वर्ष तक विचार नहीं किया जाता है । प्रत्येक भाषा के लिए एक परामर्श समिति होती है जिसमे तीन सदस्य होते है समिति का गठन तीन वर्ष के लिए के किया जाता है । प्राप्त प्रस्ताव भाषा परामर्श समिति द्वारा जांचे जाते है किसी साहित्यकार पर विचार करते समय भाषा समिति उसके सम्पूर्ण कृतित्व के मूल्यांकन के साथ समसामयिक भारतीय साहित्य की प्रष्ठभूमि में भी उसको परखता है । 28 वें पुरस्कार के नियम में यह परिवर्तन किया गया की पुरस्कार वर्ष को छोड़ कर पिछले बीस वर्ष की अवधि में प्रकाशित कृतियों के आधार पर लेखक का मूल्यांकन किया जायेगा ।
भाषा परामर्श समिति अपना प्रस्ताव प्रवर परिषद् के समक्ष प्रस्तुत करती है प्रवर परिषद् में कम से कम 7 और अधिकतम 11 सदस्य होते है प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है और उसका कार्यकाल अधिकतम दो बार बढाया जा सकता है । प्रवर परिषद् के विचार विमर्श के बाद ही पुरस्कार के लिए किसी साहित्यकार का चयन होता है ।
ज्ञानपीठ पुरस्कार : स्वरुप
भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार में 11 लाख रुपये प्रशस्ति पत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है । कांस्य प्रतिमा मूलतः धार मालवा के सरस्वती मंदिर में स्थित प्रतिमा की अनुकृति है ।इस मंदिर स्थापना राजा भोज ने 1035 ई० में की थी । अब यह प्रतिमा ब्रिटिश म्यूजियम लन्दन में है । भारतीय ज्ञानपीठ ने साहित्य पुरस्कार के प्रतीक के रूप में प्रतिमा के शिरोभाग के पार्श्व में स्थित प्रभामंडल को सम्मिलित किया है ।इस प्रभामंडल में तीन रश्मिपुंज है जो भारत के प्राचीनतम जैन तोरण द्वार (कंकाली टीला ,मथुरा ) के रत्नत्रय को निरुपित करते है । हाथ में कमण्डलु , पुस्तक ,कमल और अक्षमाला ज्ञान तथा अध्यात्मिक द्रष्टि के प्रतीक है ।विभिन्न भाषाओँ को अब तक मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार
हिन्दी साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 10 बार )
- 1968 सुमित्रा नंदन पन्त चिदंबरा
- 1972 रामधारी सिंह दिनकर उर्वशी
- 1978 अज्ञेय कितनी नावों में कितनी बार
- 1982 महादेवी वर्मा यामा
- 1992 नरेश मेहता सम्पूर्ण साहित्य पर
- 1999 निर्मल वर्मा " " "
- 2005 कुँवर नारायण " " "
- 2009 अमरकांत व श्रीलाल शुक्ला " " "
- 2013 केदारनाथ सिंह " " "
कन्नड़ साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 7 बार )
1. 1967 के. वी. पुटप्पा रामायण दर्शनम्
2. 1973 डी. आर. बेंद्रे चार तार
3. 1977 डॉ. के. शिवराम कास्थ मुकज्जिया कसुगुल
4. 1990 विनायक कृष्ण गोकाक सम्पूर्ण साहित्य पर
5. 1994 प्रो. यू. आर .राव '' '' ''
6. 1998 गिरीश कर्नाड " " "
7. 2010 चंद्रशेखर कंवर " " "
बंगला साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 6 बार )
1. 1966 ताराशंकर बंदोपध्याय गणदेवता
2. 1971 विष्णु डे स्मृति सत्ता भविष्यत
3. 1976 आशा पूर्ण देवी प्रथम प्रति श्रुति
4. 1991 सुभाष मुखोपाध्याय सम्पूर्ण साहित्य पर
5 . 1996 महाश्वेता देवी " " ''
6. 2016 शंख घोष " " ''
मलयालम साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 5 बार )
1. 1965 जी शंकर कुरूप आडा कुजाई
2. 1980 एस. के. पोटकट ओरु देसातिने कथा
3. 1984 तक्षी शिवशंकर पिल्लई कायर
4. 1995 एम. टी.वासुदेवन नायर सम्पूर्ण साहित्य पर
5. 2007 एबीएन कुरूप " " "
उर्दू साहित्यको मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 4 बार )
1. 1969 फ़िराक गोरखपुरी गुल - ए- नगमा
2. 1989 कुर्रतुल एन हैदर सम्पूर्ण साहित्य पर
3. 1997 अली सरदार जाफ़री " " ''
4. 2008 शहरयार " " "
गुजरती साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 4 बार )
उर्दू साहित्यको मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 4 बार )
1. 1969 फ़िराक गोरखपुरी गुल - ए- नगमा
2. 1989 कुर्रतुल एन हैदर सम्पूर्ण साहित्य पर
3. 1997 अली सरदार जाफ़री " " ''
4. 2008 शहरयार " " "
गुजरती साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 4 बार )
1. 1967 उमा शंकर जोशी निशीथ
2. 1985 पन्ना लाल पटेल मानवीनी भवाई
3. 2001 राजेंद्र केशन लाल शाह सम्पूर्ण साहित्य पर
4. 2015 रघुवीर चौधरी " "
तेलगु साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार (4 बार )
1. 1970 विश्वनाथ सत्यनारायण श्रीमद रामायण कल्प वृक्षम
2. 1983 वेंकटेश आयंगर सम्पूर्ण साहित्य पर
3. 1988 डॉ सी नारायण रेड्डी " "
4. 2012 डॉ राबुरी भरद्वाज " "
माराठी साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 4 बार )
1. 1974 विष्णु सखा खांडेकर ययाति
2. 1987 विष्णु बागन शिरवाडकर सम्पूर्ण साहित्य पर
3. 2003 विंदा करंदीकर " " "
4. 2004 भालचंद्र नेमाडे " "
उड़िया साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार( 4 बार )
1 . 1973 गोपीनाथ मोहंती माली मटाल
2 . 1986 सच्चिदानंद राउत राय सम्पूर्ण साहित्य पर
3 . 1993 डॉ सीताकांत महापात्र " " "
4 . 2011 प्रतिभा रे " " "
तमिल साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 2 बार )
1 . 1975 ए वी अकीलंदम चित्तापावन
2 . 2002 डी जयकान्तन सम्पूर्ण साहित्य पर
असमिया साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार (2 बार )
1. 1979 डॉ वीरेंदर कुमार भट्टाचार्य मृतुन्जय
2 . 2000 इंदिरा गोस्वामी सम्पूर्ण साहित्य पर
पंजाबी साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 2 बार )
1. 1981 अमृता प्रीतम कागज ते कैनवास
2. 1999 गुरु दयाल सिंह सम्पूर्ण साहित्य पर
संस्कृत साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 1 बार )
1 . 2006 सत्यव्रत शास्त्री सम्पूर्ण साहित्य पर
कोंकणी साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 1 बार )
1. 2006 रविन्द्र केलकर सम्पूर्ण साहित्य पर
कश्मीरी साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार (1 बार )
1. 2004 रहमान राही सम्पूर्ण साहित्य पर
2. 1985 पन्ना लाल पटेल मानवीनी भवाई
3. 2001 राजेंद्र केशन लाल शाह सम्पूर्ण साहित्य पर
4. 2015 रघुवीर चौधरी " "
तेलगु साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार (4 बार )
1. 1970 विश्वनाथ सत्यनारायण श्रीमद रामायण कल्प वृक्षम
2. 1983 वेंकटेश आयंगर सम्पूर्ण साहित्य पर
3. 1988 डॉ सी नारायण रेड्डी " "
4. 2012 डॉ राबुरी भरद्वाज " "
माराठी साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 4 बार )
1. 1974 विष्णु सखा खांडेकर ययाति
2. 1987 विष्णु बागन शिरवाडकर सम्पूर्ण साहित्य पर
3. 2003 विंदा करंदीकर " " "
4. 2004 भालचंद्र नेमाडे " "
उड़िया साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार( 4 बार )
1 . 1973 गोपीनाथ मोहंती माली मटाल
2 . 1986 सच्चिदानंद राउत राय सम्पूर्ण साहित्य पर
3 . 1993 डॉ सीताकांत महापात्र " " "
4 . 2011 प्रतिभा रे " " "
तमिल साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 2 बार )
1 . 1975 ए वी अकीलंदम चित्तापावन
2 . 2002 डी जयकान्तन सम्पूर्ण साहित्य पर
असमिया साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार (2 बार )
1. 1979 डॉ वीरेंदर कुमार भट्टाचार्य मृतुन्जय
2 . 2000 इंदिरा गोस्वामी सम्पूर्ण साहित्य पर
पंजाबी साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 2 बार )
1. 1981 अमृता प्रीतम कागज ते कैनवास
2. 1999 गुरु दयाल सिंह सम्पूर्ण साहित्य पर
संस्कृत साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 1 बार )
1 . 2006 सत्यव्रत शास्त्री सम्पूर्ण साहित्य पर
कोंकणी साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार ( 1 बार )
1. 2006 रविन्द्र केलकर सम्पूर्ण साहित्य पर
कश्मीरी साहित्य को मिले ज्ञानपीठ पुरस्कार (1 बार )
1. 2004 रहमान राही सम्पूर्ण साहित्य पर
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